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Constitution of India 2023

भारत का संविधान||Constitution of India||



भारतीय संविधान कब बनकर तैयार हुआ?

1947 में देश के आजाद होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा इसके बाद देश आजाद हुआ और 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 तक तैयार हो गया था 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ और इस दिन को तब से गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है.

भारतीय संविधान की रचना
26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान, अंतिम रूप से स्वीकार किया गया, जिस पर 284 सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर किए। इस समय संविधान में 22 भाग, 395 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचियां थीं।

भारतीय संविधान में कुल कितनी धाराएं हैं?

भारत का संविधान, जिसे भारत के नाम से भी जाना जाता है, राज्यों का एक संघ है। यह सरकार की संसदीय प्रणाली के साथ एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है। गणतंत्र भारत के संविधान के संदर्भ में शासित है जिसे 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा पेश किया गया था और यह 26 जनवरी, 1950 को पुरे भारत में लागू हुआ था। संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप का प्रावधान किया गया है


जो कुछ एकात्मक राज्यों की संरचना में संघीय है। विशेषताएं। संघ की कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख भारत का प्रथम आदमी (राष्ट्रपति) होता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार, संघ की परिषद में राष्ट्रपति और दो सदन होते हैं जिन्हें राज्यों की परिषद (राज्य सभा) और लोक सभा (लोकसभा) के रूप में जाना जाता है। संविधान का अनुच्छेद 74 (1) प्रदान करता है 


कि राष्ट्रपति की सहायता और सलाह देने के लिए प्रधान मंत्री के साथ मंत्रिपरिषद होगी, जो सलाह के अनुसार अपने कार्यों का उपयोग करेगा। वास्तविक कार्यकारी शक्ति इस प्रकार प्रधान मंत्री के साथ मंत्रिपरिषद में निहित है, जिसके प्रमुख हैं।




भारत में दुनिया का सबसे लंबा संविधान 448 अनुच्छेद, 25 भागों और 12 अनुसूचियों के साथ है। भारत का संविधान नागरिकों और सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली और अपनाई जाने वाली संहिता, प्रक्रियाओं, अधिकारों, कर्तव्यों, नियमों और विनियमों का सीमांकन है। बी. आर. अम्बेडकर मुख्य वास्तुकार थे और "भारतीय संविधान के जनक" के रूप में जाने जाते थे।


 संविधान 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रारंभ के समय, इसमें 225 लेख 22 भागों और 8 अनुसूचियों में थे। अब तक संविधान में 104 संशोधन किए जा चुके हैं। भारतीय संविधान के हिस्सों, और अनुसूचियों के साथ-साथ कुछ लेखों की विस्तार से जाँच करें।



भारतीय संविधान के अंग

शुरू में, भारतीय संविधान के 22 भाग थे। बाद में, संशोधन के साथ और सारे भाग जोड़े गए जो IVA, IXA, IXB और XIVA है । भारतीय संविधान के कुछ हिस्सों पर एक नज़र डालें।


             भाग 1

 संघ और उसके क्षेत्र 


अनुच्छेद

1. संघ का नाम और क्षेत्र।

2. नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना।

3. नए राज्य बनाने का अधिकार और राज्यों के , सीमाओं या नामों के बदलाव का अधिकार ।

4. 1 और 4 संशोधन के लिए प्रदान करने के लिए अनुच्छेद दो और तीन के तहत बनाए गए कानून  

अनुसूचियां और पूरक, आकस्मिक और परिणामी मामले।



               भाग द्वितीय

               नागरिकता


5. संविधान के प्रारंभ में नागरिकता

6. कुछ ऐसे व्यक्तियों की नागरिकता के अधिकार जो भारत से पाकिस्तान चले गए हैं।

7.  कुछ प्रवासियों की नागरिकता के अधिकार।

8. भारत के बाहर दूसरे देशो में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों के नागरिकता का अधिकार।

9. किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की स्वेच्छा से नागरिक होना।

10. नागरिकता के अधिकारों की निरंतरता।

11. संसद के द्वारा नागरिकता के अधिकार को बदलने का कानून ।


      भाग 3

 मौलिक अधिकार


12. परिभाषा।

13. मौलिक अधिकारों के असंगत या अपमानित करने वाले कानून।

समानता का अधिकार

14. कानून के समक्ष समानता।

15. धर्म, जाति, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को अपराध माना जायेगा ।

16. सार्वजनिक रोजगार के लिए समानता का अवसर ।

17. अस्पृश्यता का उन्मूलन।

18. उपाधियों का उन्मूलन।

                                                               

         स्वतंत्रता का अधिकार


19. बोलने की स्वतंत्रता, आदि के बारे में कुछ अधिकारों का संरक्षण।

20. अपराधों के लिए सजा के संबंध में अधिकार ।

21. जीवन की सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता।






भारतीय संविधान की प्रस्तावना क्या है?


प्रस्तावना(Preamble), को भारतीय संविधान का परिचय पत्र कहा जाता है. सन 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा इसमें संशोधन किया गया था जिसमें तीन नए शब्द समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता को जोड़ा गया था. प्रस्तावना, भारत के सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता को सुरक्षित करती है और लोगों के बीच भाई चारे को बढावा देती है.


भारतीय संविधान की प्रस्तावना, जवाहरलाल नेहरू द्वारा बनाये गये पेश किया गये 'उद्येश्य प्रस्ताव 'पर आधारित है. प्रस्तावना को सर्वप्रथम अमेरिकी संविधान में शामिल किया गया था, इसके बाद कई देशों ने इसे अपनाया है. संविधान विशेषज्ञ नानी पालकीवाला ने संविधान की प्रस्तावना को संविधान का परिचय पत्र कहा है.

भारतीय संविधान की अनुसूचियां
भारतीय संविधान की अनुसूची में कुल 12 अनुसूचियां हैं, जो इस प्रकार हैं:

प्रथम अनुसूची: इसमें भारतीय संघ के घटक राज्यों (29 राज्य) एवं संघ शासित (सात) क्षेत्रों का उल्लेख है.
नोट: संविधान के 62वें संशोधन के द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया है.
नोट: 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश से पृथक तेलंगाना  राज्‍य बनाया गया. इससे पहले राज्‍यों की संख्‍या 28 थी.

द्वितीय अनुसूची: इसमें भारत राज-व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्य सभा के सभापति एवं उपसभापति, विधान सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति एवं उपसभापति, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदि) को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन का उल्लेख किया गया है.

तृतीय अनुसूची: इसमें विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों) द्वारा पद-ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है.  

चौथी अनुसूची: इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की राज्य सभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है.

पांचवीं अनुसूची: इसमें विभिन्न अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में उल्लेख है.

छठी अनुसूची: इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है. 
सांतवी अनुसूची: इसमें केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे के बारे में बताया गया है, इसके अन्तगर्त तीन सूचियाँ है- संघ सूची,राज्य सूची एवं समवर्ती सूची:

(1) संघ सूची: इस सूची में दिए गए विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है. संविधान के लागू होने के समय इसमें 97 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 98 विषय हैं.

(2) राज्य सूची: इस सूची में दिए गए विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है. राष्ट्रीय हित से संबंधित होने पर केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है. संविधान के लागू होने के समय इसके अन्‍तर्गत 66 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 62 विषय हैं.

(3) समवर्ती सूची: इसके अन्‍तर्गत दिए गए विषय पर केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं. परंतु कानून के विषय समान होने पर केंद्र सरकार केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होता है. राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कानून केंद्र सरकार के कानून बनाने के साथ ही समाप्त हो जाता है. संविधान के लागू होने के समय समवर्ती सूची में 47 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 52 विषय हैं. 


आठवीं अनुसूची: इसमें भारत की 22 भाषाओँ का उल्लेख किया गया है. मूल रूप से आंठवीं अनुसूची में 14 भाषाएं थीं, 1967 ई० में सिंधी को और 1992 ई० में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली को आंठवीं अनुसूची में शामिल किया गया. 2004 ई० में मैथिली, संथाली,डोगरी एवं बोडो को आंठवीं अनुसूची में शामिल किया गया.

नौवीं अनुसूची: संविधान में यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई. इसके अंतर्गत राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है. इन अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है.वर्तमान में इस अनुसूची में 284 अधिनियम हैं.

नोट: अब तक यह मान्यता थी कि नौवीं अनुसूची में सम्मिलित कानूनों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती. 11 जनवरी, 2007 के संविधान पीठ के एक निर्णय द्वारा यह स्थापित किया गया कि नौवीं अनुसूची में सम्मिलित किसी भी कानून को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तथा उच्चतम न्यायालय इन कानूनों की समीक्षा कर सकता है.


दसवीं अनुसूची: यह संविधान में 52वें संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई है. इसमें दल-बदल से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है.

ग्यारहवीं अनुसूची: यह अनुसूची संविधान में 73वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गई है. इसमें पंचायतीराज संस्थाओं को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किए गए हैं. 

बारहवीं अनुसूची: यह अनुसूची 74वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गई है इसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को कार्य करने के लिय 18 विषय प्रदान किए गए हैं.

संबिधान सभा से ताप्तर्य 

संविधान निर्माण के लिए गठित प्रतिनिधि सभा को सविधान सभा की संज्ञा दी जाती हैं 
पूर्ण प्रभुता-सम्प्पन लोकतंत्रात्मक  राष्ट्रों में जहाँ भी लिखित संबिधान हैं उनका निर्माण जनता ने प्राय: सविधान 
सभाओं के माध्यम से किया हैं 

संबिधान सभा की प्रेरणा का स्त्रोत 17वी और 18वी शताब्दी की लोकतांत्रिक क्रान्तिया रही हैं 
इन क्रांतियो ने इस विचार को जन्म दिया कि शासन के मुलभुत कानूनों का निर्माण नागरिको की एक विशिष्ट 
प्रतिनिधि सभा द्वारा किया जाना चाहिए 

इंग्लैंड के समतावादियो तथा हेनरीमैन ने संविधान सभा के विचार का प्रसार किया किन्तु सर्वप्रथम अमेरिका और फ़्रांस में इस विचार को क्रियान्वित किया गया 
जेनिंग्ज - के अनुसार ''सविधान सभा एक एसी प्रतिनिध्यात्मक संस्था होती हैं 
जिसे नवीन संविधान पर विचार करने और अपनाने या विद्यमान सविधान में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने के लिए चुना जाता हैं 


भारत में संविधान सभा की अवधारणा का उदय और विकास

भारत में संविधान सभा की मांग एक प्रकार से राष्ट्रीय स्वतंत्रता की मांग थीं 
क्यूंकि राष्ट्रीय स्वतंत्रता का यह स्वाभाविक अर्थ था की भारत के लोग स्वंम अपने राजनितिक भविष्य का निर्णय करें 
संविधान सभा के सिद्धांत के सर्वप्रथम दर्शन 1895 के 'स्वराज्य विधेयक(Swarajya Bill) में होतें हैं 
जिसे तिलक के निर्देशन में तैयार किया गया था  

इसे तिलक की दूरदर्शिरता  कहा जाना चाहिए कि वे 19वी  सदी में इस सम्बन्ध में सोच सकें 20वी सदी में इस विचार की ओर सर्बप्रथम संकेत महात्मा गाँधी ने किया जब उन्होंने 1922में अपने विचार ब्यक्त करते हुए कहा कि
''भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छानुसार ही होगा'' 1924में पं. मोतीलाल नेहरु ने ब्रटिश सरकार के सम्मुख संविधान सभा के निर्माण की मांग प्रस्तुत की,किन्तु उस समय सरकार की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया 


इसके बाद औपचारिक रूप में संविधान सभा के विचार का प्रतिपादन M.N.राय  ने किया और इस विचार को लोकप्रिय बनाने एवं इसे मूर्त रूप देने का कार्य पं.जवाहरलाल नेहरू ने किया 
प्रमुखतया उन्ही के प्रयत्नों से कांग्रेस ने औपचारिक रूप में घोषणा की थी कि
''यदि भारत को आत्म-निर्णय का अवसर मिलता हैं तो भारत के सभी विचारो के लोगो की प्रतिनिधि सभा बुलाई जानी चाहिए जो सर्वसम्मत संविधान का निर्णय कर सकें यही संविधान सभा होगी''

  
इस समय तक संविधान सभा के विचार ने पर्याप्त लोकप्रियता प्राप्त कर ली हैं अतः अनेक प्रांतीय विधान सभाओ और केन्द्रीय विधान मंडल द्वारा इस प्रकार के प्रस्ताव पारित किये गय 
दिसम्बर 1936 के लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन में संविधान सभा के अर्थ और महत्व की व्याख्या की गयी और 1937व् 1938 के अधिवेशनों में इस मांग  को दोहराते हुए इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया की 
एक स्वतंत्र  देश के संविधान निर्माण का एकमात्र तरीका संविधान सभा हैं 
सिर्फ प्रजातंत्र और  स्वतंत्रता में विश्वास न रखने वाले ही इसका विरोध कर सकते हैं 

भारतीय जनता की  संविधान सभा की इस मार्ग का ब्रिटिश शासन द्वारा विरोध किया जाना तो स्वाभाविक था ही देशी नरेशो और यूरोप वाशियों जैसे कुछ निहित स्वार्थ वाले वर्गो द्वारा भी इस प्रस्ताव से अपने विशेषाधिकार खतरे में पड़ते देख इसका विरोध किया गया 

और उदारवादियो ने इसे अति प्रजातान्त्रिक बताया शुरू में मुस्लिम लोग ने इसका विरोध किया किन्तु 1940 में पाकिस्तान प्रस्ताव के प्रतिपादन के साथ दो पृथक पृथक संविधान सभाओ की मांग प्रारम्भ कर दी 
यद्दपि ब्रिटिश सरकार भारतीय जनता की संविधान सभा की मांग को स्पष्टतया स्वीकार करने के पक्ष में नहीं थी 

किन्तु द्वितीय विश्व युद्ध की अवश्यक्ताओ और राष्ट्रिय तथा अंतराष्ट्रीय शक्तियों ने उसे येसा करने के लिए विवस कर दिया अतः अगस्त 1940 के प्रस्ताव में ब्रिटिश सरकार ने कहा कि
''भारत का संविधान स्वभावतः स्वंयभारतवासी ही तैयार करेंगे''  

इसके बाद 1942की क्रिप्स योजना के द्वारा ब्रिटेन ने स्पस्टतया स्वीकार किया की भारत में एक निर्वाचित संविधान सभा का गठन होगा, युद्ध के बाद भारत के लिए संविधान तैयार करेंगे 
लेकिन भारतीयों द्वारा अन्य महतवपूर्ण अधारो पर क्रिप्स योजना को अस्वीकार कर दिया गया 

अंत में 1946 की कैबिनेट मिशन योजना में भारतीय संविधान सभा के प्रस्ताव को स्वीकार कर इसे व्यहारीक रूप प्रदान कर दिया गया  


संविधान लिखने वाले कितने लोग थे?

भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे जिसके अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 में अपना काम पूरा कर लिया और 26 जनवरी 1950 को यह संविधान लागू हुआ। इसी दिन कि याद में हम हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।


भारत का मूल संविधान कहाँ सुरक्षित है?

इस संविधान की एक मूल प्रति ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है। इस प्रति में पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। संविधान की यह मूल प्रति महाराज बाड़ा स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित है।



संविधान के पहले पेज पर क्या लिखा है?

इनमें पहला हिंदी में हस्ताक्षर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का है. संविधान लिखने के लिए रायजादा ने कोई पारिश्रमिक नहीं लिया था. हर पेज पर नाम लिखने की शर्त रखी थी, जो सभी पेजों पर दिखता है. संविधान की मूल प्रति देखने से छात्र भारतीय परंपरा, धर्म और संस्कृति को भी महसूस कर सकेंगे.


भारतीय संविधान सभा में कुल कितनी महिलाएं थी?

संविधान सभा के 15 महिला सदस्य


संविधान कहाँ से लिया गया है?

मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात, न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संयुक्त राज्य अमेरिका से लिया गया है


संविधान को लिखने वाले कौन थे?

भीमराव अंबेडकर को जिम्मेदारी सौंपी गई। दुनिया भर के तमाम संविधानों को बारीकी से परखने के बाद डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार कर लिया। 26 नवंबर 1949 को इसे भारतीय संविधान सभा के समक्ष लाया गया।


संविधान समिति में कितने सदस्य थे?
जुलाई, 1946 ई० में संविधान सभा का चुनाव हुआ. इस दौरान कुल 389 सदस्यों में से प्रांतों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिय चुनाव हुए. इसमें कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 स्थान एवं 15 अन्य दलों के तथा स्वतंत्र उम्‍मीदवार निर्वाचित हुए. 9 दिसंबर, 1946 ई० को संविधान सभा की प्रथम बैठक हुई.


संविधान का असली निर्माता कौन है?
संविधान सभा मे कुल 32 समितियां थी, जिनमे से एक समिति थी प्रारूप समिति, जिसके अध्यक्ष थे डॉ भीमराव अंबेडकर अतः इन्हें ही भारतीय संविधान का निर्माता कहा जाता है, तथा सर्वप्रथम प्रारूप बी एन राव ने दिया था जिसके मूल्यांकन हेतु प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ था।




भारत के संविधान पर अंतिम हस्ताक्षर कब हुए?
भारतीयसंविधान 26 जनवरी 1950 में लागू हुआ, लेकिन इससे पहले 55 साल तक कई उतार चढ़ाव देखे गए। संविधान सभा की अंतिम बैठक संविधान निर्माण के लिए 24 नवम्बर 1949 में हुई, जिसमें 284 लोगों ने हस्ताक्षर किए।


संविधान बनाने में कितना पैसा खर्च हुआ था?
संविधान बचाओ अभियान: 2 साल 11 महीने में 6.4 करोड़ खर्च कर तैयार हुआ था भारतीय संविधान


संविधान सभा के प्रथम सचिव कौन थे?
संविधान सभा को संबोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति जे. बी. कृपलानी थे। इसकी अध्यक्षता सच्चिदानन्द सिन्हा ने की।


संविधान सभा की पहली बैठक में कितने सदस्य थे?
प्रारूप समिति 29 अगस्त 1947 को गठित की गई थी। संविधान सभा में पहली बैठक क अन्तर्गत 207 सदस्यों ने भाग लिया। संविधान सभा में कुल 15 महिलाओं ने भाग लिया। तथा 8 महिलाओं ने संविधान पर हस्ताक्षर किए।



संविधान सभा की मांग कब हुई?
वर्ष 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) ने पहली बार आधिकारिक रूप से भारत में संविधान सभा के गठन की मांग की।


समवर्ती सूची कहाँ से ली गई है?
भारतीय संविधान में समवर्ती सूची का प्रावधान किस देश के संविधान से लिया गया है? Notes: समवर्ती सूची का प्रावधान ऑस्ट्रेलिया कि संविधान से लिया गया है।


प्रेम बिहारी रायजादा कौन थे?
बीआर अंबेडकर नहीं बल्कि प्रेम बिहारी नारायण रायजादा हैं। जी हां, डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा का अध्यक्ष होने के नाते संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है, मगर प्रेम बिहारी वे शख्स हैं जिन्होंने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी यानी पांडुलिपि लिखी थी।


अनुसूची 9 में क्या है?
नौवीं अनुसूची: संविधान में यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई। इसके अंतर्गत राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है। इन अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। वर्तमान में इस अनुसूची में 284 अधिनियम हैं।


धारा 30 और 30a क्या है?
भारतीय संविधान का आर्टिकल 30 देश में धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यकों को कई अधिकार देता है. यह आर्टिकल ही इन अल्पसंख्यकों को देश में देश में शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के लिए अधिकार देता है. आर्टिकल 30, देश में शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के लिए अल्पसंख्यकों को अधिकार देता है.


प्रस्तावना में कुल कितने शब्द हैं?
हमारे संविधान में प्रस्तावना के साथ 448 अनुच्छेद हैं. 12 अनुसूचियां, और 5 परिशिष्ट हैं. अभी तक इसे 103 बार संशोधित किया जा चुका है. प्रस्तावना का मूल विचार अमेरिका के संविधान से लिया गया, जिसे दुनिया का सबसे पुराना लिखित संविधान माना जाता है.


सबसे छोटा संविधान कहाँ का है?
मोनाको का संविधान सबसे छोटा लिखित संविधान है, जिसमें ९७ अनुच्छेदों के साथ १० अध्याय, और कुल ३,८१४ शब्द हैं।



 भारतीय संविधान और कर्तव्य
वर्तमान में अनुच्छेद 51(A) के तहत वर्णित 11 मौलिक कर्तव्य हैं, जिनमें से 10 को 42वें संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था जबकि 11वें मौलिक कर्तव्यों को वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन के ज़रिये संविधान में शामिल किया गया था।


6 मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं?
मौलिक अधिकार

1.समता का अधिकार (समानता का अधिकार)

2.स्‍वतंत्रता का अधिकार

3.शोषण के विरुद्ध अधिकार

4.धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार

5.संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार
कुछ विधियों की व्यावृत्ति

6.संवैधानिक उपचारों का अधिकार

भारतीय संविधान में मूल अधिकार कितने है?
संविधान द्वारा मूल रूप से सात मूल अधिकार प्रदान किए गए थे- समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म, संस्कृति एवं शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार।



भारतीय संविधान में मूल अधिकार कहाँ से लिए गए हैं?
भारत के संविधान के भाग-3 के अंतर्गत अनुच्छेद 12 से लेकर अनुच्छेद 35 तक मूल अधिकारों का उल्लेख किया गया है। इन मूल अधिकारों को मनुष्य के नैसर्गिक अधिकार भी कहे जाते हैं।


मौलिक अधिकारों में संशोधन कौन कर सकता है?
मौलिक अधिकारों में संशोधन करने में कौन सक्षम है? - . मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के भाग 3 में किया गया है। और संविधान संशोधन की शक्ति सिर्फ संसद के पास है। मौलिक अधिकारों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन संसद के दोनों सदनों के विशेष बहुमत से किया जा सकता है।




मौलिक अधिकारों का निलंबन कौन कर सकता है?
अनु० 358 के अनुसार आपातकाल में समय 19 अनु० द्वारा प्राप्त अधिकार निलंबित हो जाते है तथा 359 अनु० के अनुसार अनु० 20 &21 केद्वारा मूल प्रदत्त अधिकारो को छोड़कर , राष्ट्रपति संविधान के भाग 3 के सभी मूल अधिकारों को निलंबित कर सकता है।



मूल अधिकारों पर प्रतिबंध कौन लगा सकता है?
अन्य अनुच्छेद

(2) अनुच्छेद 33 - सशस्त्र बलों, अद्र्ध सैनिक बलों, पुलिस बलों जैसी लोक व्यवस्था बनाए रखने वाली सेवाओं के सदस्यों पर संसद प्रतिबंध आरोपित कर सकती है। (3) अनुच्छेद 34 - जब किसी क्षेत्र में फौजी कानून प्रवृत हो तो मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।


मौलिक अधिकार क्या है वर्णन कीजिए?
मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन के लिये मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किये जाते हैं और जिनमें राज्य द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता (Fundamental rights cannot be interfered by the state)।



मूल अधिकार समिति के अध्यक्ष कौन थे?
संविधान सभा के मौलिक अधिकार समिति के अध्यक्ष कौन थे ? उत्तर:- सरदार वल्लभ भाई पटेल ।


भारतीय संविधान में कुल कितने धारा है?
संक्षिप्त परिचय भारतीय संविधान में वर्तमान समय में भी केवल 470 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और ये 25 भागों में विभाजित है।


आर्टिकल 343 में क्या है?👇

राजभाषा - संवैधानिक/वैधानिक प्रावधान
संविधान की धारा 343(1) के अनुसार देवनागरी लिपि में हिन्‍दी संघ की राजभाषा होगी। धारा 343(2) में अंग्रेजी को आधिकारिक कार्य में उपयोग संविधान आंरभ होने की तिथि के 15 वर्ष (अर्थात 25 जनवरी 1965) की अवधि तक जारी रखने के लिए कहा गया है।



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भारत का संविधान||Constitution of India||

भारतीय संविधान कब बनकर तैयार हुआ?

1947 में देश के आजाद होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा इसके बाद देश आजाद हुआ और 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 तक तैयार हो गया था 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ और इस दिन को तब से गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है.

भारतीय संविधान की रचना
26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान, अंतिम रूप से स्वीकार किया गया, जिस पर 284 सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर किए। इस समय संविधान में 22 भाग, 395 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचियां थीं।

भारतीय संविधान में कुल कितनी धाराएं हैं?

भारत का संविधान, जिसे भारत के नाम से भी जाना जाता है, राज्यों का एक संघ है। यह सरकार की संसदीय प्रणाली के साथ एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है। गणतंत्र भारत के संविधान के संदर्भ में शासित है जिसे 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा पेश किया गया था और यह 26 जनवरी, 1950 को पुरे भारत में लागू हुआ था। संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप का प्रावधान किया गया है


जो कुछ एकात्मक राज्यों की संरचना में संघीय है। विशेषताएं। संघ की कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख भारत का प्रथम आदमी (राष्ट्रपति) होता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार, संघ की परिषद में राष्ट्रपति और दो सदन होते हैं जिन्हें राज्यों की परिषद (राज्य सभा) और लोक सभा (लोकसभा) के रूप में जाना जाता है। संविधान का अनुच्छेद 74 (1) प्रदान करता है 


कि राष्ट्रपति की सहायता और सलाह देने के लिए प्रधान मंत्री के साथ मंत्रिपरिषद होगी, जो सलाह के अनुसार अपने कार्यों का उपयोग करेगा। वास्तविक कार्यकारी शक्ति इस प्रकार प्रधान मंत्री के साथ मंत्रिपरिषद में निहित है, जिसके प्रमुख हैं।




भारत में दुनिया का सबसे लंबा संविधान 448 अनुच्छेद, 25 भागों और 12 अनुसूचियों के साथ है। भारत का संविधान नागरिकों और सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली और अपनाई जाने वाली संहिता, प्रक्रियाओं, अधिकारों, कर्तव्यों, नियमों और विनियमों का सीमांकन है। बी. आर. अम्बेडकर मुख्य वास्तुकार थे और "भारतीय संविधान के जनक" के रूप में जाने जाते थे।


 संविधान 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रारंभ के समय, इसमें 225 लेख 22 भागों और 8 अनुसूचियों में थे। अब तक संविधान में 104 संशोधन किए जा चुके हैं। भारतीय संविधान के हिस्सों, और अनुसूचियों के साथ-साथ कुछ लेखों की विस्तार से जाँच करें।



भारतीय संविधान के अंग

शुरू में, भारतीय संविधान के 22 भाग थे। बाद में, संशोधन के साथ और सारे भाग जोड़े गए जो IVA, IXA, IXB और XIVA है । भारतीय संविधान के कुछ हिस्सों पर एक नज़र डालें।


             भाग 1

 संघ और उसके क्षेत्र 


अनुच्छेद

1. संघ का नाम और क्षेत्र।

2. नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना।

3. नए राज्य बनाने का अधिकार और राज्यों के , सीमाओं या नामों के बदलाव का अधिकार ।

4. 1 और 4 संशोधन के लिए प्रदान करने के लिए अनुच्छेद दो और तीन के तहत बनाए गए कानून  

अनुसूचियां और पूरक, आकस्मिक और परिणामी मामले।



               भाग द्वितीय

               नागरिकता


5. संविधान के प्रारंभ में नागरिकता

6. कुछ ऐसे व्यक्तियों की नागरिकता के अधिकार जो भारत से पाकिस्तान चले गए हैं।

7.  कुछ प्रवासियों की नागरिकता के अधिकार।

8. भारत के बाहर दूसरे देशो में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों के नागरिकता का अधिकार।

9. किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की स्वेच्छा से नागरिक होना।

10. नागरिकता के अधिकारों की निरंतरता।

11. संसद के द्वारा नागरिकता के अधिकार को बदलने का कानून ।


      भाग 3

 मौलिक अधिकार


12. परिभाषा।

13. मौलिक अधिकारों के असंगत या अपमानित करने वाले कानून।

समानता का अधिकार

14. कानून के समक्ष समानता।

15. धर्म, जाति, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को अपराध माना जायेगा ।

16. सार्वजनिक रोजगार के लिए समानता का अवसर ।

17. अस्पृश्यता का उन्मूलन।

18. उपाधियों का उन्मूलन।

                                                               

         स्वतंत्रता का अधिकार


19. बोलने की स्वतंत्रता, आदि के बारे में कुछ अधिकारों का संरक्षण।

20. अपराधों के लिए सजा के संबंध में अधिकार ।

21. जीवन की सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता।






भारतीय संविधान की प्रस्तावना क्या है?


प्रस्तावना(Preamble), को भारतीय संविधान का परिचय पत्र कहा जाता है. सन 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा इसमें संशोधन किया गया था जिसमें तीन नए शब्द समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता को जोड़ा गया था. प्रस्तावना, भारत के सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता को सुरक्षित करती है और लोगों के बीच भाई चारे को बढावा देती है.


भारतीय संविधान की प्रस्तावना, जवाहरलाल नेहरू द्वारा बनाये गये पेश किया गये 'उद्येश्य प्रस्ताव 'पर आधारित है. प्रस्तावना को सर्वप्रथम अमेरिकी संविधान में शामिल किया गया था, इसके बाद कई देशों ने इसे अपनाया है. संविधान विशेषज्ञ नानी पालकीवाला ने संविधान की प्रस्तावना को संविधान का परिचय पत्र कहा है.

भारतीय संविधान की अनुसूचियां
भारतीय संविधान की अनुसूची में कुल 12 अनुसूचियां हैं, जो इस प्रकार हैं:

प्रथम अनुसूची: इसमें भारतीय संघ के घटक राज्यों (29 राज्य) एवं संघ शासित (सात) क्षेत्रों का उल्लेख है.
नोट: संविधान के 62वें संशोधन के द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया है.
नोट: 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश से पृथक तेलंगाना  राज्‍य बनाया गया. इससे पहले राज्‍यों की संख्‍या 28 थी.

द्वितीय अनुसूची: इसमें भारत राज-व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्य सभा के सभापति एवं उपसभापति, विधान सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति एवं उपसभापति, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदि) को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन का उल्लेख किया गया है.

तृतीय अनुसूची: इसमें विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों) द्वारा पद-ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है.  

चौथी अनुसूची: इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की राज्य सभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है.

पांचवीं अनुसूची: इसमें विभिन्न अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में उल्लेख है.

छठी अनुसूची: इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है. 
सांतवी अनुसूची: इसमें केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे के बारे में बताया गया है, इसके अन्तगर्त तीन सूचियाँ है- संघ सूची,राज्य सूची एवं समवर्ती सूची:

(1) संघ सूची: इस सूची में दिए गए विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है. संविधान के लागू होने के समय इसमें 97 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 98 विषय हैं.

(2) राज्य सूची: इस सूची में दिए गए विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है. राष्ट्रीय हित से संबंधित होने पर केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है. संविधान के लागू होने के समय इसके अन्‍तर्गत 66 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 62 विषय हैं.

(3) समवर्ती सूची: इसके अन्‍तर्गत दिए गए विषय पर केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं. परंतु कानून के विषय समान होने पर केंद्र सरकार केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होता है. राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कानून केंद्र सरकार के कानून बनाने के साथ ही समाप्त हो जाता है. संविधान के लागू होने के समय समवर्ती सूची में 47 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 52 विषय हैं. 


आठवीं अनुसूची: इसमें भारत की 22 भाषाओँ का उल्लेख किया गया है. मूल रूप से आंठवीं अनुसूची में 14 भाषाएं थीं, 1967 ई० में सिंधी को और 1992 ई० में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली को आंठवीं अनुसूची में शामिल किया गया. 2004 ई० में मैथिली, संथाली,डोगरी एवं बोडो को आंठवीं अनुसूची में शामिल किया गया.

नौवीं अनुसूची: संविधान में यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई. इसके अंतर्गत राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है. इन अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है.वर्तमान में इस अनुसूची में 284 अधिनियम हैं.

नोट: अब तक यह मान्यता थी कि नौवीं अनुसूची में सम्मिलित कानूनों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती. 11 जनवरी, 2007 के संविधान पीठ के एक निर्णय द्वारा यह स्थापित किया गया कि नौवीं अनुसूची में सम्मिलित किसी भी कानून को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तथा उच्चतम न्यायालय इन कानूनों की समीक्षा कर सकता है.


दसवीं अनुसूची: यह संविधान में 52वें संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई है. इसमें दल-बदल से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है.

ग्यारहवीं अनुसूची: यह अनुसूची संविधान में 73वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गई है. इसमें पंचायतीराज संस्थाओं को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किए गए हैं. 

बारहवीं अनुसूची: यह अनुसूची 74वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गई है इसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को कार्य करने के लिय 18 विषय प्रदान किए गए हैं.

संबिधान सभा से ताप्तर्य 

संविधान निर्माण के लिए गठित प्रतिनिधि सभा को सविधान सभा की संज्ञा दी जाती हैं 
पूर्ण प्रभुता-सम्प्पन लोकतंत्रात्मक  राष्ट्रों में जहाँ भी लिखित संबिधान हैं उनका निर्माण जनता ने प्राय: सविधान 
सभाओं के माध्यम से किया हैं 

संबिधान सभा की प्रेरणा का स्त्रोत 17वी और 18वी शताब्दी की लोकतांत्रिक क्रान्तिया रही हैं 
इन क्रांतियो ने इस विचार को जन्म दिया कि शासन के मुलभुत कानूनों का निर्माण नागरिको की एक विशिष्ट 
प्रतिनिधि सभा द्वारा किया जाना चाहिए 

इंग्लैंड के समतावादियो तथा हेनरीमैन ने संविधान सभा के विचार का प्रसार किया किन्तु सर्वप्रथम अमेरिका और फ़्रांस में इस विचार को क्रियान्वित किया गया 
जेनिंग्ज - के अनुसार ''सविधान सभा एक एसी प्रतिनिध्यात्मक संस्था होती हैं 
जिसे नवीन संविधान पर विचार करने और अपनाने या विद्यमान सविधान में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने के लिए चुना जाता हैं 


भारत में संविधान सभा की अवधारणा का उदय और विकास

भारत में संविधान सभा की मांग एक प्रकार से राष्ट्रीय स्वतंत्रता की मांग थीं 
क्यूंकि राष्ट्रीय स्वतंत्रता का यह स्वाभाविक अर्थ था की भारत के लोग स्वंम अपने राजनितिक भविष्य का निर्णय करें 
संविधान सभा के सिद्धांत के सर्वप्रथम दर्शन 1895 के 'स्वराज्य विधेयक(Swarajya Bill) में होतें हैं 
जिसे तिलक के निर्देशन में तैयार किया गया था  

इसे तिलक की दूरदर्शिरता  कहा जाना चाहिए कि वे 19वी  सदी में इस सम्बन्ध में सोच सकें 20वी सदी में इस विचार की ओर सर्बप्रथम संकेत महात्मा गाँधी ने किया जब उन्होंने 1922में अपने विचार ब्यक्त करते हुए कहा कि
''भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छानुसार ही होगा'' 1924में पं. मोतीलाल नेहरु ने ब्रटिश सरकार के सम्मुख संविधान सभा के निर्माण की मांग प्रस्तुत की,किन्तु उस समय सरकार की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया 


इसके बाद औपचारिक रूप में संविधान सभा के विचार का प्रतिपादन M.N.राय  ने किया और इस विचार को लोकप्रिय बनाने एवं इसे मूर्त रूप देने का कार्य पं.जवाहरलाल नेहरू ने किया 
प्रमुखतया उन्ही के प्रयत्नों से कांग्रेस ने औपचारिक रूप में घोषणा की थी कि
''यदि भारत को आत्म-निर्णय का अवसर मिलता हैं तो भारत के सभी विचारो के लोगो की प्रतिनिधि सभा बुलाई जानी चाहिए जो सर्वसम्मत संविधान का निर्णय कर सकें यही संविधान सभा होगी''

  
इस समय तक संविधान सभा के विचार ने पर्याप्त लोकप्रियता प्राप्त कर ली हैं अतः अनेक प्रांतीय विधान सभाओ और केन्द्रीय विधान मंडल द्वारा इस प्रकार के प्रस्ताव पारित किये गय 
दिसम्बर 1936 के लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन में संविधान सभा के अर्थ और महत्व की व्याख्या की गयी और 1937व् 1938 के अधिवेशनों में इस मांग  को दोहराते हुए इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया की 
एक स्वतंत्र  देश के संविधान निर्माण का एकमात्र तरीका संविधान सभा हैं 
सिर्फ प्रजातंत्र और  स्वतंत्रता में विश्वास न रखने वाले ही इसका विरोध कर सकते हैं 

भारतीय जनता की  संविधान सभा की इस मार्ग का ब्रिटिश शासन द्वारा विरोध किया जाना तो स्वाभाविक था ही देशी नरेशो और यूरोप वाशियों जैसे कुछ निहित स्वार्थ वाले वर्गो द्वारा भी इस प्रस्ताव से अपने विशेषाधिकार खतरे में पड़ते देख इसका विरोध किया गया 

और उदारवादियो ने इसे अति प्रजातान्त्रिक बताया शुरू में मुस्लिम लोग ने इसका विरोध किया किन्तु 1940 में पाकिस्तान प्रस्ताव के प्रतिपादन के साथ दो पृथक पृथक संविधान सभाओ की मांग प्रारम्भ कर दी 
यद्दपि ब्रिटिश सरकार भारतीय जनता की संविधान सभा की मांग को स्पष्टतया स्वीकार करने के पक्ष में नहीं थी 

किन्तु द्वितीय विश्व युद्ध की अवश्यक्ताओ और राष्ट्रिय तथा अंतराष्ट्रीय शक्तियों ने उसे येसा करने के लिए विवस कर दिया अतः अगस्त 1940 के प्रस्ताव में ब्रिटिश सरकार ने कहा कि
''भारत का संविधान स्वभावतः स्वंयभारतवासी ही तैयार करेंगे''  

इसके बाद 1942की क्रिप्स योजना के द्वारा ब्रिटेन ने स्पस्टतया स्वीकार किया की भारत में एक निर्वाचित संविधान सभा का गठन होगा, युद्ध के बाद भारत के लिए संविधान तैयार करेंगे 
लेकिन भारतीयों द्वारा अन्य महतवपूर्ण अधारो पर क्रिप्स योजना को अस्वीकार कर दिया गया 

अंत में 1946 की कैबिनेट मिशन योजना में भारतीय संविधान सभा के प्रस्ताव को स्वीकार कर इसे व्यहारीक रूप प्रदान कर दिया गया  


संविधान लिखने वाले कितने लोग थे?

भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे जिसके अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 में अपना काम पूरा कर लिया और 26 जनवरी 1950 को यह संविधान लागू हुआ। इसी दिन कि याद में हम हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।


भारत का मूल संविधान कहाँ सुरक्षित है?

इस संविधान की एक मूल प्रति ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है। इस प्रति में पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। संविधान की यह मूल प्रति महाराज बाड़ा स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित है।



संविधान के पहले पेज पर क्या लिखा है?

इनमें पहला हिंदी में हस्ताक्षर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का है. संविधान लिखने के लिए रायजादा ने कोई पारिश्रमिक नहीं लिया था. हर पेज पर नाम लिखने की शर्त रखी थी, जो सभी पेजों पर दिखता है. संविधान की मूल प्रति देखने से छात्र भारतीय परंपरा, धर्म और संस्कृति को भी महसूस कर सकेंगे.


भारतीय संविधान सभा में कुल कितनी महिलाएं थी?

संविधान सभा के 15 महिला सदस्य


संविधान कहाँ से लिया गया है?

मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात, न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संयुक्त राज्य अमेरिका से लिया गया है


संविधान को लिखने वाले कौन थे?

भीमराव अंबेडकर को जिम्मेदारी सौंपी गई। दुनिया भर के तमाम संविधानों को बारीकी से परखने के बाद डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार कर लिया। 26 नवंबर 1949 को इसे भारतीय संविधान सभा के समक्ष लाया गया।


संविधान समिति में कितने सदस्य थे?
जुलाई, 1946 ई० में संविधान सभा का चुनाव हुआ. इस दौरान कुल 389 सदस्यों में से प्रांतों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिय चुनाव हुए. इसमें कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 स्थान एवं 15 अन्य दलों के तथा स्वतंत्र उम्‍मीदवार निर्वाचित हुए. 9 दिसंबर, 1946 ई० को संविधान सभा की प्रथम बैठक हुई.


संविधान का असली निर्माता कौन है?
संविधान सभा मे कुल 32 समितियां थी, जिनमे से एक समिति थी प्रारूप समिति, जिसके अध्यक्ष थे डॉ भीमराव अंबेडकर अतः इन्हें ही भारतीय संविधान का निर्माता कहा जाता है, तथा सर्वप्रथम प्रारूप बी एन राव ने दिया था जिसके मूल्यांकन हेतु प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ था।




भारत के संविधान पर अंतिम हस्ताक्षर कब हुए?
भारतीयसंविधान 26 जनवरी 1950 में लागू हुआ, लेकिन इससे पहले 55 साल तक कई उतार चढ़ाव देखे गए। संविधान सभा की अंतिम बैठक संविधान निर्माण के लिए 24 नवम्बर 1949 में हुई, जिसमें 284 लोगों ने हस्ताक्षर किए।


संविधान बनाने में कितना पैसा खर्च हुआ था?
संविधान बचाओ अभियान: 2 साल 11 महीने में 6.4 करोड़ खर्च कर तैयार हुआ था भारतीय संविधान


संविधान सभा के प्रथम सचिव कौन थे?
संविधान सभा को संबोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति जे. बी. कृपलानी थे। इसकी अध्यक्षता सच्चिदानन्द सिन्हा ने की।


संविधान सभा की पहली बैठक में कितने सदस्य थे?
प्रारूप समिति 29 अगस्त 1947 को गठित की गई थी। संविधान सभा में पहली बैठक क अन्तर्गत 207 सदस्यों ने भाग लिया। संविधान सभा में कुल 15 महिलाओं ने भाग लिया। तथा 8 महिलाओं ने संविधान पर हस्ताक्षर किए।



संविधान सभा की मांग कब हुई?
वर्ष 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) ने पहली बार आधिकारिक रूप से भारत में संविधान सभा के गठन की मांग की।


समवर्ती सूची कहाँ से ली गई है?
भारतीय संविधान में समवर्ती सूची का प्रावधान किस देश के संविधान से लिया गया है? Notes: समवर्ती सूची का प्रावधान ऑस्ट्रेलिया कि संविधान से लिया गया है।


प्रेम बिहारी रायजादा कौन थे?
बीआर अंबेडकर नहीं बल्कि प्रेम बिहारी नारायण रायजादा हैं। जी हां, डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा का अध्यक्ष होने के नाते संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है, मगर प्रेम बिहारी वे शख्स हैं जिन्होंने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी यानी पांडुलिपि लिखी थी।


अनुसूची 9 में क्या है?
नौवीं अनुसूची: संविधान में यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई। इसके अंतर्गत राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है। इन अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। वर्तमान में इस अनुसूची में 284 अधिनियम हैं।


धारा 30 और 30a क्या है?
भारतीय संविधान का आर्टिकल 30 देश में धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यकों को कई अधिकार देता है. यह आर्टिकल ही इन अल्पसंख्यकों को देश में देश में शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के लिए अधिकार देता है. आर्टिकल 30, देश में शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के लिए अल्पसंख्यकों को अधिकार देता है.


प्रस्तावना में कुल कितने शब्द हैं?
हमारे संविधान में प्रस्तावना के साथ 448 अनुच्छेद हैं. 12 अनुसूचियां, और 5 परिशिष्ट हैं. अभी तक इसे 103 बार संशोधित किया जा चुका है. प्रस्तावना का मूल विचार अमेरिका के संविधान से लिया गया, जिसे दुनिया का सबसे पुराना लिखित संविधान माना जाता है.


सबसे छोटा संविधान कहाँ का है?
मोनाको का संविधान सबसे छोटा लिखित संविधान है, जिसमें ९७ अनुच्छेदों के साथ १० अध्याय, और कुल ३,८१४ शब्द हैं।



 भारतीय संविधान और कर्तव्य
वर्तमान में अनुच्छेद 51(A) के तहत वर्णित 11 मौलिक कर्तव्य हैं, जिनमें से 10 को 42वें संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था जबकि 11वें मौलिक कर्तव्यों को वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन के ज़रिये संविधान में शामिल किया गया था।


6 मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं?
मौलिक अधिकार

1.समता का अधिकार (समानता का अधिकार)

2.स्‍वतंत्रता का अधिकार

3.शोषण के विरुद्ध अधिकार

4.धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार

5.संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार
कुछ विधियों की व्यावृत्ति

6.संवैधानिक उपचारों का अधिकार

भारतीय संविधान में मूल अधिकार कितने है?
संविधान द्वारा मूल रूप से सात मूल अधिकार प्रदान किए गए थे- समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म, संस्कृति एवं शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार।



भारतीय संविधान में मूल अधिकार कहाँ से लिए गए हैं?
भारत के संविधान के भाग-3 के अंतर्गत अनुच्छेद 12 से लेकर अनुच्छेद 35 तक मूल अधिकारों का उल्लेख किया गया है। इन मूल अधिकारों को मनुष्य के नैसर्गिक अधिकार भी कहे जाते हैं।


मौलिक अधिकारों में संशोधन कौन कर सकता है?
मौलिक अधिकारों में संशोधन करने में कौन सक्षम है? - . मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के भाग 3 में किया गया है। और संविधान संशोधन की शक्ति सिर्फ संसद के पास है। मौलिक अधिकारों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन संसद के दोनों सदनों के विशेष बहुमत से किया जा सकता है।




मौलिक अधिकारों का निलंबन कौन कर सकता है?
अनु० 358 के अनुसार आपातकाल में समय 19 अनु० द्वारा प्राप्त अधिकार निलंबित हो जाते है तथा 359 अनु० के अनुसार अनु० 20 &21 केद्वारा मूल प्रदत्त अधिकारो को छोड़कर , राष्ट्रपति संविधान के भाग 3 के सभी मूल अधिकारों को निलंबित कर सकता है।



मूल अधिकारों पर प्रतिबंध कौन लगा सकता है?
अन्य अनुच्छेद

(2) अनुच्छेद 33 - सशस्त्र बलों, अद्र्ध सैनिक बलों, पुलिस बलों जैसी लोक व्यवस्था बनाए रखने वाली सेवाओं के सदस्यों पर संसद प्रतिबंध आरोपित कर सकती है। (3) अनुच्छेद 34 - जब किसी क्षेत्र में फौजी कानून प्रवृत हो तो मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।


मौलिक अधिकार क्या है वर्णन कीजिए?
मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन के लिये मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किये जाते हैं और जिनमें राज्य द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता (Fundamental rights cannot be interfered by the state)।



मूल अधिकार समिति के अध्यक्ष कौन थे?
संविधान सभा के मौलिक अधिकार समिति के अध्यक्ष कौन थे ? उत्तर:- सरदार वल्लभ भाई पटेल ।

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